बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी?

बदलू लाख की चूड़ियां बनाया और बेचा करता था, लेकिन जैसे-जैसे कांच की चूड़ियों का प्रचलन बढ़ने लगा वैसे-वैसे बदलू का काम ठप होने लगा। उसका काम दिन-प्रतिदिन चौपट होने लगा। बदलू की दशा काफी दयनीय होने लगी थी। जिन कांच की चूड़ियों से उसे चिढ़ थी वो आज बाजार में हर तरफ नजर आ रही थीं। लोग कारीगरी की जगह सुंदरता को महत्व देने लगे थे। बदलू की यह व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।


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